श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी

विश्व वंदनीय तीर्थ जहां से तीर्थकरों ने निर्वाण पद को प्राप्त किया । जहां का कण – कण रज – रज वंदनीय व पुजनीय है । उसी पवित्र तीर्थराज के चरण रज में बसी हुई धर्मप्राण नगरी मधुबन (शिखरजी) है । युं तो आज से 400 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी के निर्वाण का इतिहास मिलता है । यह सबसे प्राचीन और सबसे उपर होने के कारण उपरैली कोठी के नाम से जानी जाती है । इसके इतिहास में जो रिक्त स्थान या उन निर्वाण का इतिहास में आगे देखे तो 250 वर्ष पूर्व तेरहपंथी कोठी का निर्वाण हुआ और दोनों दिगम्बर कोठियों के मध्य में जो रिक्त स्थान था उसमे आज से 150 वर्ष पूर्व जैन श्वेताम्बर सोसाइटी का निर्वाण हुआ ।मुख्य रुप से यही तीनों संस्थाऐ सर्वश्रेष्ठ कहलाती है । श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी में आदि मंदिर तेरह जिन वेदियों का समुह एवं प्राचीनकालीन अतिशय भगवान पार्श्वनाथ बगीचा मंदिर तथा कोठि के अन्तर्गत कई अनेक मंदिर तथा संस्थाऐ जैसे दि. जैन तीस चौबीसी मंदिर, आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज समाधी मंदिर, श्री पार्श्वनाथ समवशरण मंदिर, श्री दि. जैन बाहुबली चौबीस टोक मंदिर, श्री दि. जैन मध्यलोक शोध संस्थान और आचार्य विमल सागर महाराज सरस्वती भवन पुस्तकालय है ।

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    विश्व वंदनीय तीर्थ जहां से तीर्थकरों ने निर्वाण पद को प्राप्त किया । जहां का कण – कण रज – रज वंदनीय व पुजनीय है । उसी पवित्र तीर्थराज के चरण रज में बसी हुई धर्मप्राण नगरी मधुबन (शिखरजी) है । युं तो आज से 400 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी के निर्वाण का इतिहास मिलता है । यह सबसे प्राचीन और सबसे उपर होने के कारण उपरैली कोठी के नाम से जानी जाती है । इसके इतिहास में जो रिक्त स्थान या उन निर्वाण का इतिहास में आगे देखे तो 250 वर्ष पूर्व तेरहपंथी कोठी का निर्वाण हुआ और दोनों दिगम्बर कोठियों के मध्य में जो रिक्त स्थान था उसमे आज से 150 वर्ष पूर्व जैन श्वेताम्बर सोसाइटी का निर्वाण हुआ । मुख्य रुप से यही तीनों संस्थाऐ सर्वश्रेष्ठ कहलाती है । श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी में आदि मंदिर तेरह जिन वेदियों का समुह एवं प्राचीनकालीन अतिशय भगवान पार्श्वनाथ बगीचा मंदिर तथा कोठी के अन्तर्गत कई अनेक मंदिर तथा संस्थाऐ जैसे दि. जैन तीस चौबीसी मंदिर, आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज समाधी मंदिर, श्री पार्श्वनाथ समवशरण मंदिर, श्री दि. जैन बाहुबली चौबीस टोक मंदिर, श्री दि. जैन मध्यलोक शोध संस्थान और आचार्य विमल सागर महाराज सरस्वती भवन पुस्तकालय है । यहाँ यात्रियो के लिए आधुनिक सुख सुविधा से युक्त आवासीय व्यवस्था, भोजन व्यवस्था, जलपान व्यवस्था, नि:शुल्क आर्युवेदिक चिकित्सा व्यवस्था, होमियोंपैथिक चिकित्सा व्यवस्था तथा ऐलोपैथीक चिकित्सा और पारसनाथ रेलवे स्टेशन से आवगमन हेतु यातायात की व्यवस्था बीसपंथी कोठी के द्रारा की जाती है । कोठी में ठहरें यात्रियों के लिए वंदना करने के बाद वापस आते समय बीसपंथी कोठी भाताघर में निशुल्क जलपान की भी व्यवस्था है । दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी के अंतर्गत अन्य संस्थाऐं कल्याण निकेतन चन्दा प्रभु चैत्यालय, श्री दिग. जैन बीसपंथी कोठी धर्मशला, ईसरी बाजार, दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर, निमियांघाट धर्मशाला, दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर धर्मशाला,पटना है । दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी का अध्यक्षीय कार्यालय देवाश्रम, महादेवा रोड, आरा (बिहार) तथा महामंत्री कार्यालय, सी. पी. टैक, हिराबाग, मुम्बई में है । संस्था के पदाधिकरी, ट्रस्टीगण एवं समस्त कर्मचारी पूर्ण श्रध्दा एवं लग्न के साथ कर्तव्य निष्ठा के साथ यात्रियों कि एवं संस्था कि सेवा करने में सदैव तत्पर रहते है ।

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SHREE SAMMEDSHIKHAR DIGAMBER JAIN BISPANTHI UPRAILI KOTHI MADHUBAN

विश्व वंदनीय तीर्थ

विश्व वंदनीय तीर्थ जहां से तीर्थकरों ने निवण पद को प्राप्त किया । जहां का कण – कण रज – रज वंदनीय व पुजनीय है । उसी पवित्र तीर्थराज के चरण रज में बसी हुई धर्मप्राण नगरी मधुबन (शिखरजी) है । युं तो आज से 400 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी के निर्वाण का इतिहास मिलता है ।

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विश्व वंदनीय तीर्थ

यह सबसे प्राचीन और सबसे उपर होने के कारण उपरैली कोठी के नाम से जानी जाती है । इसके इतिहास में जो रिक्त स्थान या उन निर्वाण का इतिहास में आगे देखे तो 250 वर्ष पूर्व तेरहपंथी कोठी का निर्वाण हुआ और दोनों दिगम्बर कोठियों के मध्य में जो रिक्त स्थान था उसमे आज से 150 वर्ष पूर्व जैन श्वेतम्बर सोसईटी का निर्वाण हुआ ।

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विश्व वंदनीय तीर्थ

मुख्य रुप से यही तीनों संस्थाऐ सर्वक्षेष्ठ कहलाती है । श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी में आदि मंदिर तेरह जिन वेदियों का समुह एवं प्राचीनकालीन अतिशय भागवान पाशर्वनाथ बगीचा मंदिर तथा कोठि के अन्तर्गत कई अनेक मंदिर तथा संस्थाऐ जैसे दि. जैन तीस चौबीसी मंदिर, आचार्य श्री विमलशागर समाधी स्थल

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